Rajasthan SI Exam Cancelled: राजस्थान हाईकोर्ट ने विवादित भर्ती रद्द की फैसला सुरक्षित से सुनाया गया आदेश

Rajasthan SI Exam Cancelled: राजस्थान हाईकोर्ट ने बहुचर्चित राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा भर्ती प्रक्रिया को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए पूरी भर्ती रद्द कर दी है। न्यायमूर्ति समीयर जैन की खंडपीठ में हुई सुनवाई के बाद अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि जिस भर्ती प्रक्रिया पर संदेह और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं, उसे जारी रखना संभव नहीं है। अदालत ने कहा कि निष्पक्षता, पारदर्शिता और न्याय के सिद्धांतों के आधार पर इस भर्ती को रद्द किया जाता है।

अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एन. माथुर ने दलील दी थी कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान कई उम्मीदवारों पर अनियमितताओं के आरोप हैं। SIT और SOG की जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि पेपर लीक और गड़बड़ियों के कारण पूरी चयन प्रक्रिया प्रभावित हुई है। ऐसे में पृथक्करण या आंशिक निर्णय पर्याप्त नहीं होगा बल्कि भर्ती को पूरी तरह रद्द करना ही न्यायसंगत है। 

Rajasthan SI Exam Cancelled

हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए यह तर्क दिया था कि जहां पृथक्करण संभव हो, वहां पूरी भर्ती रद्द नहीं की जानी चाहिए। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि जब प्रक्रिया ही भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से ग्रसित हो तो उसे आंशिक रूप से बचाने का कोई औचित्य नहीं है।

सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष यह तथ्य रखा गया कि वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में कुल 68 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया, जिनमें से 54 अभ्यर्थी गिरफ्तार भी हो चुके हैं। इसके अलावा, आरपीएससी सदस्यों पर भी चार्जशीट दाखिल की गई है और राज्य सरकार ने उनकी बर्खास्तगी की अनुशंसा कर दी है। इस प्रकार, पूरी प्रक्रिया की विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी है।

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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जब चयन प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता ही समाप्त हो जाए तो लाखों मेहनती और ईमानदार उम्मीदवारों के हित में भर्ती रद्द करना ही उचित कदम है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार और आरपीएससी नई भर्ती प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू करने के लिए ठोस कदम उठाएँ, ताकि युवाओं का भविष्य अधर में न रहे।

इस आदेश से लाखों अभ्यर्थियों की उम्मीदों को फिलहाल झटका लगा है, लेकिन अदालत ने साफ किया है कि भ्रष्ट और विवादित चयन प्रक्रिया पर मुहर नहीं लगाई जा सकती। न्यायालय ने यह भी माना कि उम्मीदवारों के हितों की रक्षा तभी संभव है जब पूरी तरह पारदर्शी नई भर्ती आयोजित की जाए।

अब सभी की निगाहें राज्य सरकार और आरपीएससी पर टिकी हैं कि वे अदालत के आदेश का पालन करते हुए नई भर्ती कब और कैसे आयोजित करते हैं। यह फैसला प्रदेश की आगामी भर्ती प्रक्रियाओं में भी नजीर साबित होगा।

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